बाल दरबार लगा कर बच्चों ने मनाया बाल अधिकार सप्ताह

बाल दरबार लगा कर बच्चों ने मनाया बाल अधिकार सप्ताह

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जिला स्तरीय बाल दरबार का किया गया आयोजन।बाल दरबार लगा कर बच्चों ने मनाया बाल अधिकार सप्ताह।
बच्चो को आने वाले समस्या और समाधान के लिए अधिकारियों से संवाद के लिए तैयार किया अपनी मांग पत्र ।
 राष्ट्र निर्माण में बच्चो की भागीदारी महत्वपूर्ण राकेश रंजन डी एस पी मुख्यालय।
सीतामढ़ी: समाजकल्याण विभाग, बिहार सरकार, यूनिसेफ़ और प्रथम संस्था के सहयोग से आयोजित बाल दरबार में बच्चों ने अपने सरोकारों व अधिकारों पर खुलकर की चर्चा समाज के अलग-अलग तबकों से आने वाले 30 बच्चे-बच्चियों एवं किशोर-किशोरियों ने जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में बैठक कर अपनी समस्याओं, मुद्दों व अधिकारों को लेकर विस्तार से चर्चा की,ग्रुप चर्चा में रूप में कोविड, शिक्षा, सुरक्षा, पोषण, स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी किन किन चुनौतियों का सामना किया, सरकार की किन योजनाओं से उन्हें लाभ मिला और कैसे एक बेहतर दुनिया का निर्माण किया जा सकता है. राष्ट्रीय बाल दिवस – 14 नवंबर से लेकर विश्व बाल दिवस – 20 नवंबर तक आयोजित होने वाले बाल अधिकार सप्ताह (Child Rights Week) के मद्देनज़र बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग, यूनीसेफ एवं प्रथम संस्था के सहयोग से बाल दरबार नाम से यह आयोजन किया गया ।
सीतामढ़ी बाल दरबार में 15 वर्ष की रूमाना ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में बाल विवाह रोक-थाम के लिए जागरूकता की आवश्यकता है। चिंता, भय और अवसाद जैसी समस्याओं को चर्चा में शामिल करते हुए 12 साल के सोनाक्षी ने कहा कि हमे पढ़ने के लिए विद्यालय की व्यवस्था और बेहतर हो। 15 वर्षीय सादिया जेया ने बताया लड़कियों को दहेज प्रथा रोकने के लिए उच्चतर शिक्षा जरूरी है।
 डीएसपी मुख्यालय राकेश रंजन ने बताया कि जनता दरबार की तर्ज़ पर बाल दरबार से विभिन्न सरकारी विभागों/नीति निर्धारकों को बच्चों एवं किशोर-किशोरियों से सीधे संवाद कर, उनके सरोकारों और सुझावों को बेहतर ढंग से जानने-समझने का मौक़ा मिलेगा. इससे बच्चों के लिए, ख़ास तौर से वंचित वर्ग के बच्चों के लिए बेहतर योजनाएं और कार्यक्रम बनाने में मदद मिलेगी.  
बधाई देते हुए जिला पंचायती राज पदाधिकारी अविनाश कुमार ने कहा कि संयुक्त राष्ट बाल अधिकार समझौते एवं राष्ट्रीय बाल नीति के मुताबिक़ बच्चों को भागीदारी और विचार व्यक्त करने का अधिकार है. इस दिशा में समाज कल्याण विभाग ने बाल दरबार के माध्यम से ज़िला में एक सशक्त और संवेदनशील प्लेटफ़ॉर्म दिया जा रहा है जो बेहद सराहनीय है. उम्मीद है कि इस संवाद को एक नियमित/सतत प्रक्रिया का स्वरूप दिया जाएगा जिसके तहत बच्चों के मुद्दों और सुझावों पर यथोचित कार्रवाई हेतु संबद्ध अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के साथ फॉलो अप भी हो सके। 
बाल दरबार चर्चा के दौरान मुख्य तौर पर निम्नलिखित मुद्दे उभर कर आए जिनसे सभी बच्चे-बच्चियां किसी न किसी रूप में ज़रूर प्रभावित हैं.
1. कोविड संक्रमण के कारण हमारा शिक्षा और रहन - सहन प्रभावित हुआ है।
2. विद्यालय का संचालन अच्छे से हो।
3. बालिका को सुरक्षा की नितांत जरूरत है।
4. बाल विवाह की रोक-थाम में समाज/ग्रामीण क्षेत्र एक समस्या बनी है।
5. दहेज प्रथा सामाजिक कुरीतियो को दूर करना भी समस्या है।
4 घंटे की चर्चा के दौरान न सिर्फ़ समस्याओं पर बातचीत हुई, बल्कि बच्चों ने उनके निदान को लेकर कुछ ठोस सुझाव भी दिए.
1. कोविड के कारण शिक्षा की समस्या के लिए डेटा, और सुरक्षित ऑनलाइन पढ़ाई की बात सामने आयी।
2. विद्यालय संचालन ससमय हो। जिसमें अभिभावक और स्कूल की दूरी को कम किया जाय।
3. बालिका को इतना सशक्त बनाया जाय कि वह अपने सुरक्षा स्वंय कर सके।
4. बाल विवाह के सम्बंध में बालिका ने बताया अभी कमी आयी है। और उन्मूलन के लिए जागरूकता जरूरी है।
5. दहेजप्रथा को समाप्त के लिए सामूहिक प्रयास होना।
6. लिंग भेद चर्चा में शामिल रहे।
संवाद के दौरान मिले सुझावों के आधार पर प्रतिभागी बच्चे-बच्चियों द्वारा एक चार्टर ऑफ़ डिमांड्स भी तैयार किया गया जिसे आगामी 22 नवंबर को वे जिलाधिकारी/अन्य अधिकारियों से मिलकर उन्हें सौंपेंगे. इस दौरान वे ज़िलाधिकारी से खुलकर चर्चा करेंगे और उनसे अपनी मांगों पर जल्द से जल्द कार्रवाई करने का भी अनुरोध करेंगे. कार्यक्रम के दौरान सहायक निदेशक जिला बाल संरक्षण इकाई नीलम कुमारी ने बच्चो को शुभकामनाएं दी और बाल दरबार ऐसे आयोजन को उन्होंने सराहना किया। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्राचार्य कुमारी अर्चना ने बताया बाल दरबार एक ऐतिहासिक कार्य है जो बच्चो के हित के लिए एक सराहनीय कदम है। यूनीसेफ के सहयोगी प्रथम संस्था के जिला समन्वयक सुधीर कुमार ने बताया बाल दरबार मे डुमरा, परसौनी, रीगा, बैरगनिया और परिहार प्रखण्ड के बच्चो को शामिल किए गए । कार्यक्रम में श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी स्वेता कुमारी, एस एस बी इंस्पेक्टर रविशंकर प्रसाद, यूनीसेफ पटना के प्रतिनिधि राकेश कुमार, प्रथम संस्था के प्रखण्ड समन्वयक बिरेन्द्र कुमार, अमित, महिमा कुमारी आदि शामिल रहे।

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