सीतामढी: मिथिला संस्कृति की पहचान का लोकपर्व मधुश्रावणी पूजा का सोमवार से आगाज हो गया है. श्रावण मास के कृष्ण पक्ष पंचमी से आरंभ होकर शुक्ल पक्ष तृतीया को संपन्न होने वाली हैं . चौदह दिन तक नवविवाहितओं द्वारा की जाने वाली इस पूजा का विशेष महत्व है. ऐसी प्रथा है कि इन दिनों नवविवाहिता ससुराल के द्वारा दिए कपड़े गहने ही पहनती हैं. इसलिए पूजा शुरू होने के एक दिन पूर्व नवविवाहिता के ससुराल से सभी सामग्री भेजी जाती है. मधुश्रावणी पूजन के महत्व को बताते हुए पंडित कृतनारायण मिश्रा ने कहा कि इस पर्व के करने से सुहागिन महिलाओं के पति की उम्र बढ़ती है. घर में सुख शांति आती है. पूजन के दौरान मैना पंचमी, मंगला गौरी, पृथ्वी जन्म, महादेव कथा, गौरी तपस्या, शिव विवाह, गंगा कथा, बिहुला कथा तथा बाल वसंत कथा सहित 14 खंडों में कथा का श्रवण किया जाता है. इस दौरान गांव समाज की बुजुर्ग महिला कथा वाचिकाओं द्वारा नवविवाहितों को समूह में बैठाकर कथा सुनाई जाती है. पूजन के सातवें, आठवें तथा नौवें दिन प्रसाद के रूप में खीर का भोग लगाया जाता है. प्रतिदिन संध्या में महिलाएं आरती, सुहाग गीत तथा कोहबर गाकर भोले शंकर को प्रसन्न करने का प्रयास करती हैं।
पति की लंबी आयु के लिए नवविवाहित महिलाएं कर रही है पूजा
मंगलवार, जुलाई 19, 2022
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